Gulzar Poetry || वो दिल नीलाम हो गया जिस पर कभी हुकुमत तुम्हारी थी …|| Ishq-E-Syahi
वो मन बना चुके थे हमसे दूर जाने का और…
Continue Reading
Gulzar Poetry || वो दिल नीलाम हो गया जिस पर कभी हुकुमत तुम्हारी थी …|| Ishq-E-Syahi
वो मन बना चुके थे हमसे दूर जाने का और…
इश्क़ के बाजार में रूह भी नीलाम हो जाती हे…