Mirza ghalib ke Ghazal मिर्ज़ा ग़ालिब के ग़ज़ल मुद्दत हुई है यार को मिह्मां किये हुए मुद्दत हुई है यार को मिह्मां किये हुएजोश-ए क़दह से बज़्म चिराग़ां किये… Read more